Yama, Kubera along with the guardians with the 4 quarters; poets and Students – none can Convey Your glory.
lāyaLāyaBrought sanjīvaniSanjīvaniA lifetime LakhanaLakhanaLakshman, brother of Lord Rama jiyāeJiyāeSaved / revived
chhūtahi ChhūtahiFreed / taken out bandiBandiShackles / bondage mahāsukha MahāsukhaGreat contentment / bliss HoiHoiBe / is Meaning: He who recites this 100 situations, he might be produced/Slice from bondage of ache & sufferings and he will get Good happniness/blissfulness.
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥ महाबीर बिक्रम बजरङ्गी ।
समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
भावार्थ – श्री गुरुदेव के चरण–कमलों की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मैं श्री रघुवर के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।
Even so, sometimes, the facets of the story are just like Hindu variations and Buddhist versions of Ramayana identified elsewhere on the Indian subcontinent.
They arrest Hanuman, and underneath Ravana's orders get him to a community execution. There, Ravana's guards get started his torture by tying his tail with oiled cloth and setting it on hearth. Hanuman then leaps from a person palace rooftop to another, burning all the things down in the method.[62]
व्याख्या – जन्म–मरण–यातना का अन्त अर्थात् भवबन्धन से छुटकारा परमात्म प्रभु ही करा सकते हैं। भगवान् श्री हनुमान जी के वश में हैं। अतः श्री हनुमान जी सम्पूर्ण संकट और पीड़ाओं को दूर करते हुए जन्म–मरण के बन्धन से मुक्त कराने में पूर्ण समर्थ हैं।
The Peshwa period rulers in 18th century metropolis of Pune furnished endowments to a lot more Hanuman temples than to temples of other deities like Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in current time you will find much more Hanuman temples in town plus the district than of other deities.[118]
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।
SūkshmaSūkshmaMicro / minute / little rūpaRūpaForm / overall body / form dhariDhariAssuming siyahiSiyahiSita, Wife of Lord Rama dikhāvāDikhāvāTo indicate up
व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये website निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।
भावार्थ – आप अपने स्वामी श्री रामचन्द्र जी की मुद्रिका [अँगूठी] को मुख में रखकर [सौ योजन विस्तृत] महासमुद्र को लाँघ गये थे। [आपकी अपार महिमा को देखते हुए] इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।
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